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बिहार प्रांतीय सेवा समिति अहमदाबाद मे अपने पावन वर्ष मे 53 वाँ श्री दुर्गा महोत्सव माना रहा : Ahmedabad report by The Current Scenario

 बिहार प्रांतीय सेवा समिति अहमदाबाद मे अपने पावन वर्ष मे 53 वाँ श्री दुर्गा महोत्सव माना रहा :-

बिहार प्रांतीय सेवा समिति  माँ दुर्गा की असीम सहायता वर्ष २०२३ मे ५३ वाँ नवरात्रि के अवसर पर श्री दुर्गा का आयोजन किया गया है 

जो बिहार के भारत का एक ऐसा राज्य जो संस्कृति के लिए माना जाता है बिहार मे दुर्गा पुजा को एक संस्कृति तेवहार है जो देश की सभ्यता दर्शाता है      

नवरात्रि जो माँ दुर्गा का नों रूप की पुजा करना ओर अरधना से माँ को प्रसना करके उनकी सेवा मे बिहार प्रांतीय सेवा समिति  एक छोटा सा योगदान दे रही 53 वर्ष से हर वर्ष ये से ही पूरी श्रद्धा से माँ दुर्गा की पुजा अर्चन कर रही है 

बिहार के सीवान स्थित एक ऐसे ऐतिहासिक कहानी के बारे मे आज The Current Scenario आप को बात रहा है ध्यान से पढ़िए :-

बिहार के सीवान स्थित एक ऐसे ऐतिहासिक और प्रसिद्ध मंदिर की हम बात करने जा रहे हैं, जहां मां दुर्गा की वृद्ध रूप की पूजा की जाती है. यह सीवान का इकलौता बुढ़िया माई मन्दिर है, जहां वृद्ध रूप की पूजा होती है. यही वजह है कि यह मंदिर सीवान ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में प्रसिद्ध है. सीवान शहर से गुजरने वाले अधिकांश लोग बुढ़िया माई का दर्शन करने यहां रुक जाते हैं. बुढ़िया माई का दर्शन कर सफर शुरू करना शुभ मना जाता है.

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बिहार प्रांतीय सेवा समिति अहमदाबाद

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पुजारी धनंजय पांडेय ने बताया कि समय के साथ बुढ़िया माई के कई नाम रहे हैं. जब अंग्रेजी हुकूमत थी तो उस समय सीवान शहर जंगलों से घिरा हुआ था. इस समय मां बुढ़िया माई को जंगली माई कहा जाता था. जब सीवान जिला बना और सदर अस्पताल की स्थापना हुई तो उस समय हीं चिराई घर (पोस्टमार्टम कार्यालय) बना. इलाज कराने आने वाले लोग माई के दरबार में बैठकर मन की शांति के लिए ध्यान भी लगाते थे. लोग बुढ़िया माई को चिराई वाली माई कहने लगे थे. हालांकि मां दुर्गा को लोग बुढ़िया माई भी कहते हैं.

बिहार का पुराना नाम विहार और मगध के रूप में जाना जाता था लेकिन पटना का पुराना नाम कभी पाटलिग्राम, पाटलिपुत्र, पालिबोथरा, पालिनफ, और अजीमाबाद रहा है.

गंगा के उत्तर का क्षेत्र राजा विदेह के नाम से जाना जाता था, जो भगवान राम की पत्नी राजकुमारी सीता के पिता और भारत के दो महान हिंदू महाकाव्यों में से एक रामायण के नायक थे।

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